जैसा की आप सभी को पता है की जहां कुछ क्रिकेटर्स अपने करियर की शुरुआत में ही सुर्खियों में आ जाते हैं, वहीं कुछ अन्य लोगों को अपनी प्रतिभा दिखाने में थोड़ा समय लगता है. हालांकि, एक बार जब वे अपनी फॉर्म हासिल कर लेते हैं तो टीम में अपनी जगह स्थाई कर लेते हैं. आज इस लेख में हम खिलाड़ियों के बारे में जानेगे, जिन्होंने करियर के दौरान देरी से सफलता हासिल की हैं.
1) रोहित शर्मा
credit: third party image reference
रोहित शर्मा ने 2007 में अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था लेकिन कंसिस्टेंट प्रदर्शन न कर पाने के कारण लगातार उन्हें टीम से अंदर बाहर होना पड़ता था. लेकिन 2013 की आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में कप्तान एमएस धोनी ने उन्हें बतौर सलामी बल्लेबाज अजमाया, जिसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा हैं.रोहित शर्मा वर्तमान में सिमित ओवर क्रिकेट के सबसे सफल सलामी बल्लेबाज हैं और वनडे में 3 दोहरे सैंकड़े जड़ चुके हैं.
2) ईशांत शर्माcredit: third party image reference
ईशांत शर्मा एक और ऐसे खिलाड़ी हैं जो पूर्व भारतीय कप्तान एमएस धोनी को उनके द्वारा दिखाए गए भरोसे के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं. ईशांत के टेस्ट करियर में कुछ ऐसे बिंदु थे, जहां उन्हें टीम से ड्राप किया जा सकता था, लेकिन धोनी ने उन्हें सपोर्ट किया और ईशांत अब लाल गेंद के क्रिकेट में भारतीय आक्रमण की अगुवाई कर रहे हैं.इशांत ने पिछले कुछ वर्षों में न केवल विदेशों में टेस्ट मैचों में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है, बल्कि उन्होंने घर पर भी सपाट पिचों पर ऐसा ही किया है.
3) मर्वन अटापट्टूcredit: third party image reference
मर्वन अटापट्टू की कहानी बहुत ही रोचक है. वह एक ऐसे बल्लेबाज थे, जो अपने फोकस के लिए जाने जाते थे. वह लंबे समय तक बल्लेबाजी कर सकते थे और मैराथन नॉक खेल सकते थे, लेकिन अपने करियर की शुरुआत में, उन्होंने कई बार लगातार शून्य पर आउट हुए थे.हालाँकि इसके बाद उन्होंने अपनी तकनीक में सुधार किया था और श्रीलंका के सबसे दमदार टेस्ट बल्लेबाज बनकर उभरे. इस दौरान उन्होंने 6 दोहरे शतक भी लगायें.
4) वीवीएस लक्ष्मणcredit: third party image reference इस सूची में वीवीएस लक्ष्मण का नाम देखकर कुछ लोग बहुत हैरान होंगे, लेकिन लक्ष्मण ने वास्तव में अपने करियर के 18वें टेस्ट मैच में अपना पहला टेस्ट शतक बनाया.अपनी कंसिस्टेंट प्रदर्शन न करने के कारण, लक्ष्मण शुरुआत में भारतीय टेस्ट टीम में अपनी जगह स्थापित नहीं पाए थे. हालाँकि, उन्होंने 2000 के दशक की शुरुआत में बेहतरीन क्रिकेट खेलना शुरू किया और तब से वह संन्यास तक भारत की टेस्ट टीम का एक अभिन्न हिस्सा बने रहे.